बुखार में आयुर्वेदिक उपचार: बुखार क्या है? बुखार एक शरीर का तापमान है । जो सामान्य से अधिक है। एक सामान्य तापमान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर लगभग 98.6 F है । यह आमतौर पर एक संकेत है कि आपका शरीर किसी बीमारी या संक्रमण से लड़ने की कोशिश कर रहा है। शरीर में बाहरी संक्रमण का प्रवेश कर जाना, मौसम का अचानक बदलना आदि बुखार के कारण बनते हैं.
बुखार में आयुर्वेदिक उपचार: बुखार क्या होता है – बुखार और कुछ नहीं बल्कि शरीर की एक प्रक्रिया हैं, जब हमारे शरीर में कोई बाहरी संक्रमण प्रवेश कर जाता हैं । तो शरीर उस संक्रमण से अपनी रक्षा करने के लिए प्रतिरोध करता हैं. इस प्रतिरोध में शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता हैं । और इसी को हम बुखार आना कहते हैं ।
बुखार में आयुर्वेदिक उपचार: (लक्षण)Symptoms
थकान, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, जोड़ों में दर्द, गले में दर्द, सिरदर्द, आंखों का लाल होना और माथा पर तेज गर्म होने पर तुरंत डॉक्टरी सलाह लें।
सर्दी-खांसी जुकाम को इस मौसम में खासतौर पर नजरअंदाज न करें। ये संक्रमण के शुरुआती लक्षण होते हैं।
बुखार में आयुर्वेदिक उपचार: जब कभी भी किसी को बुखार हो तो हमें इन बाजारी दवाओं की बजाय कुछ घरेलू नुस्खे अपनाने चाहिए। बेशक ये अपना परिणाम दिखाने में बाजारी दवाओं से थोड़ा अधिक समय लेंगे, लेकिन किसी भी हाल में आपके शरीर को कमजोर नहीं होने देंगे।
आइए जानते हैं कुछ आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में।
तुलसी

तुलसी में कई सारे रोगों से लड़ने की ताकत होती है, तो हमारा पहला उपाय उसी से जुड़ा है। इसके लिए आप थोड़े पानी में 3-4 काली मिर्च, एक चम्मच बारीक कटा हुआ अदरक और तुलसी के कुछ पत्ते डालकर उबाल लें। अब इस पानी को थोड़ा ठंडा होने के बाद धीरे-धीरे पी लें, राहत मिलेगी।
एक मुट्ठी तुलसी के पत्तों और एक चम्मच लौंग पाउडर को एक लीटर पानी में उबाल कर रख लें। इस पानी को हर 2 घंटे के अंतराल पर लें।
कालीमिर्च

खांसी अधिक आने पर कालीमिर्च पाउडर, सेंधा नमक और शहद को मिलाकर ले सकते हैं। या छोटी पिप्पली पाउडर को शहद के साथ खाना भी बेहतर विकल्प है।
पानी को उबालकर ठंडा करें फिर पीएं। बारिश के बाद डेंगू फैलने की आशंका भी रहती है, जिसके लक्षण बुखार के रूप में दिखते हैं इसलिए गंदे पानी से दूर रहें।
पिपली, तुलसी

पिपली, कुटकी, कंटकारी, तुलसी के पत्ते का चूर्ण, यह सभी दवाई चूर्ण 2-2 चम्मच लेकर मिक्स कर लीजिए। यह सभी चूर्ण बहुत ही आसानी से पंसारी या जड़ी बूटी विक्रेता के यहां मिल जाएंगे। इस पाउडर को एक डिब्बी में रख लें। अब इसे सुबह, दोपहर और शाम को आधा आधा चम्मच लेकर शहद मिलाकर खाना है। यह उपाय आपको बुखार के पूरी तरह से ठीक होने तक दिन में 3 बार खाना है। यह पाउडर बना कर 6 महीने तक रखा जा सकता है।
अदरक

अदरक शरीर को अंदरूनी गर्माहट देता है और इसमें मौजूद तत्व कई सारे बैक्टीरिया को मारने का भी काम करते हैं। दूसरे उपाय में आप थोड़े पानी में अदरक और पुदीना डालें और उबालने के बाद ठंडा होने पर दवा की तरह पी लें।
सूरजमुखी

यदि रोगी को आम बुखार ना हो, यानि कि टायफाइड जैसा बुखार हो तो उसके लिए भी एक उपाय है। इसके लिए रोगी को तुलसी और सूरजमुखी के रस को मिलाकर बना हुआ काढ़ा देना चाहिए। यह रस बड़े से बड़े बुखार को खत्म कर देता है।
पानी

पानी को उबालकर ठंडा करें फिर पीएं। बारिश के बाद डेंगू फैलने की आशंका भी रहती है, जिसके लक्षण बुखार के रूप में दिखते हैं इसलिए गंदे पानी से दूर रहें।
लहसुन

लहसुन को पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेट को पानी या दही के साथ खाएं। लहसुन में एलिसिन तत्व होता है जो एंटी-माइक्रोबियल के रूप में काम करता है। यह बलगम और खांसी को भी साफ कर सकता है
आलू

आलू के कुछ टुकड़े काटकर अपनी शॉक्स में रखें। ऐसा माना जाता है कि हलके बुखार में ये उपाय काम करता है।
दालचीनी

दालचीनी, अदरक, नींबू, सेब का सिरका और हल्दी भी कुछ तत्व हैं जो आपके बुखार को कम करने में मदद करते हैं।
किशमिश

कुछ किशमिश पीसकर पेस्ट बना लें और एक कप पानी में उबाल लें। इसमें चीनी डालकर पी लें। इससे बुखार कम हो सकता है खांसी से भी राहत मिलती है। किशमिश में मौजूद फाइटो पोषक तत्वों में एंटीबायोटिक प्रभाव होता है।
धनिया पत्ता

धनिया पत्ता भी बुखार कम करने में मदद करता है? धनिया पत्ता को सदियों से बुखार, उल्टी और कंपन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसके लिए धनिया पत्ता को पानी में उबालकर काढ़े के तौर पर भी लिया जा सकता है। इसके अलावा इसकी चाय बनाकर भी पी जा सकती है। चाय बनाने के लिए एक कप पानी में धनिया पत्ता उबालें। 1 चम्मच शहद और एक नींबू निचोड़ें। कुछ देर पकने दें और फिर छानकर पी लें। हालांकि ध्यान रहे कि गर्भवती महिलाएं बुखार में धनिया पत्ता की चाय बिल्कुल भी न पिएं, नहीं तो मिसकैरेज हो सकता है।
मेथी का पानी

मेथी के दानों को एक कप में भरकर इसे रात भर के लिए भिगों लें और सुबह के समय इसे छानकर हर एक घंटे में पिएं. जल्द ही आराम मिलेगा.
नींबू और शहद

नींबू का रस और शहद भी वायरल फीवर के असर को कम करते हैं. आप शहद और नींबू का रस का सेवन भी कर सकते हैं.
साबधान: कोई वि आयुर्वेदिक जड़ी बूटी को इस्तिमाल करनेसे पहले और्वेदिक डॉक्टर की परामर्श करें।
आयुर्वेद क्या है? आइये जानते हैं आयुर्वेद के बारे मे।
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